रिपोर्टर — राजीव कुमार झा
रिश्वत लेते वीडियो की पुष्टि के बाद निलंबित एएसआई पर उसी थाना मे एफआईआर दर्ज जहां थें पदस्थापित
भ्रष्टाचार उजागर करने वाले पत्रकार को पीटने वाले पुलिसकर्मियों पर अब तक नहीं हुई कार्रवाई
एसपी के निर्देश पर दर्ज हुई प्राथमिकी, लेकिन पत्रकार को न्याय दिलाने की मांग तेज
– मधुबनी जिले के हरलाखी थाना में पदस्थापित निलंबित एएसआई प्रमोद कुमार द्वारा रिश्वत लेते हुए वायरल वीडियो ने जिले के पुलिस महकमे में हड़कंप मचा दिया था। वीडियो की जांच में तथ्य की पुष्टि के बाद एसपी मधुबनी के निर्देश पर आरोपी एएसआई के खिलाफ हरलाखी थाना में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। बताते चलें कि आरोपी एस आई हरलाखी थाना में पदस्थापित थें, जहां रिश्वत लेने के आरोप में मामला दर्ज कर लिया गया है।लेकिन इन खुलासे से भी बड़ा सवाल ये है कि जिन हरि शम्भू नाम के पत्रकार ने इस भ्रष्टाचार को उजागर किया, उसी के साथ पुलिस ने अमानवीय व्यवहार किया। न सिर्फ उन्हें उनके घर से जबरन उठा लिया गया, बल्कि थाने में उन्हें गंभीर रूप से पीटा गया और तरह तरह की यातनाएं दी गई। स्थानीय लोगों और पत्रकारों के बीच गहरा आक्रोश इस बात को लेकर है कि भ्रष्टाचार उजागर करने वाले पत्रकार को ही पुलिस द्वारा प्रताड़ित किया गया। पत्रकार हरि शम्भू ने हिम्मत दिखाते हुए एएसआई प्रमोद कुमार को रिश्वत लेते हुए कैमरे में कैद किया। उन्होंने इस वीडियो को सोशल मीडिया पर सार्वजनिक कर दिया। वीडियो में साफ दिख रहा है कि एएसआई पैसे लेते हुए नजर आ रहे हैं।
वीडियो के वायरल होते ही प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई, लेकिन हैरत की बात यह रही कि कार्रवाई एएसआई के विरुद्ध बाद में हुई, उससे पहले हरि शम्भू को ही पुलिस ने निशाना बना लिया। हरलाखी थाना पुलिस ने पत्रकार हरि शम्भू को उनके घर से बिना किसी कानूनी नोटिस या वॉरंट के उठा लिया और थाने में घंटों तक बर्बरता से पीटा। पत्रकार के परिजनों का आरोप है कि यह कार्रवाई जानबूझकर की गई, ताकि भ्रष्टाचार उजागर करने वालों का मनोबल को तोरा जा सके।
स्थानीय लोगों ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया। कई सामाजिक संगठनों ने भी पत्रकार के साथ हुए दुर्व्यवहार की निंदा की और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोग पत्रकार के समर्थन में उतर आए। मामला बिहार पुलिस के महानिदेशक डीजीपी के संज्ञान में पहुंचा, जिसके बाद उन्होंने वायरल वीडियो की जांच के आदेश दिए। जांच में वीडियो की सत्यता की पुष्टि होते ही एएसआई प्रमोद कुमार को निलंबित कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई।हरलाखी थाना पुलिस के कार्यशैली पर बराबर सवाल खड़े होते रहे हैं। यह पहली बार नहीं है जब थाने की कार्रवाई पर सवाल उठे हों, लेकिन इस बार बात एक पत्रकार की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ी है। इस घटना को लेकर पत्रकार संगठनों व नेता लोगों ने एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि यदि पत्रकार को पीटने वाले पुलिसकर्मियों पर तत्काल कार्रवाई नहीं हुई, तो राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।
हरलाखी की यह घटना यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या अब सच्चाई दिखाना और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना अपराध बन चुका है? क्या पत्रकारों को सच दिखाने की कीमत अपनी सुरक्षा से चुकानी पड़ेगी? जब समाज में पत्रकार ही सुरक्षित नहीं रहेंगे, तो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की स्थिति को लेकर गंभीर सवाल खड़े होते रहेंगे।