रिपोर्ट- अरविंद कुमार!
आरके राय, कहा पुर्व कुलपति की करतूतों को ढक कर नया इतिहास लिख रहे वर्तमान कुलपति!
समस्तीपुर। डॉ राजेंद्रप्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा समस्तीपुर के कुलपति डॉ पी एस पांडे के पद भार ग्रहण करने के बाद से आज तक का कार्यकाल कठोर ईमानदारी की आड में भ्रष्टाचार की नयी इबारत लिख रहा है। उक्त बातें अप्पन पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव आरके राय ने उक्त बातें संवाददाता से कही। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार और जातिवाद के दलदल में आकंठ डूब चुका है जिससे विश्वविद्यालय में पठन-पाठन की स्थिति नाजुक हो गयी है। विश्वविद्यालय सूत्रों की माने तो जब से डाॅ पाण्डेय कुलपति के रूप में आए हैं तब से विश्वविद्यालय में पूर्व कुलपति डाॅ रमेश चंद्र श्रीवास्तव द्वारा विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार और फर्जी शोध के जो हालात थे, वर्तमान में अपेक्षाकृत और भी बद से बदतर होते जा रहे हैं।
आय से अधिक संपत्ति, अवैध बहाली सहित विभिन्न मामलों में पूर्व कुलपति पर चल रहे जांच कमेटी के रिपोर्ट के बावजूद कार्रवाई करने के बदले मौजूदा कुलपति वैसे लोगों को प्रोत्साहित कर रहे हैं जिन्हें जेल जाना चाहिए था। उन सभी लोगों की पुन: नियुक्ति कर डाॅ विश्वविद्यालय को किस प्रगति पथ पर ले जा रहे हैं यह किसी के समझ में नहीं आ रहा।
कई लोगों ने पूर्व के कुलपति रमेश चंद्र श्रीवास्तव के खिलाफ लगाए गए आरोप की जांच भारत सरकार के कृषि मंत्रालय एवं राष्ट्रपति सह कुलाधिपति द्रोपदी मुर्मू के यहां से हो रहे जांच को शिथिल करने और मोटी रकम लेकर पूर्व कुलपति के काली करतूतों को ढकने की दिशा में दिन-रात लगे रहते हैं। अभी हाल ही में एक महीना पूर्व ऐसे कृषि वैज्ञानिक की नियुक्ति की गई है जिनके ऊपर पूर्व में कई हजार करोड रुपए के भ्रष्टाचार व गवन के आरोप भी लगाए गए है। वे आरोप सिद्ध भी हो चुके हैं। उसके बावजूद डॉक्टर पांडे ने उनकी नियुक्ति कर विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार का कीर्तिमान स्थापित किया है। विश्वविद्यालय में अनुकंपा के आधार पर लंबित मामलों में नियुक्त इसलिए नहीं किए गए हैं क्योंकि वे मोटी रकम नहीं दे सकते। कहने को वीसी श्री पाण्डेय हर मौके पर 12 पेटेंट का जिक्र करते नहीं थकते। मगर उनसे किसानों को और आम आदमी को क्या और कितना लाभ मिल रहा या मिलेगा यह कभी नही बताते। पांच पांच लग्जरी गाड़ियों से चलने वाले वर्तमान कुलपति ने आवास के रिनोवेशन के नाम पर करोडों फूक डाले हैं। इनकी करतूतों पर कोई उंगली न उठाये इसलिए डाॅ पाण्डेय कभी पत्रकार से सीधे नहीं मिलते।