रिपोर्ट अनमोल कुमार
पटना। उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान को एक महत्वपूर्ण अवसर प्राप्त हुआ, जब मूर्तिकला क्षेत्र के सुप्रसिद्ध विद्वान एवं रवींद्र भारती विश्वविद्यालय, कोलकाता के दृश्य कला संकाय के प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य जी ने संस्थान का भ्रमण किया। इस दौरान उनके साथ संस्थान के क्यूरेटर ने मार्गदर्शक की भूमिका निभाई।
प्रोफेसर भट्टाचार्य ने सबसे पहले संस्थान के संग्रहालय का अवलोकन किया, जहाँ उन्होंने स्वर्गीय उपेंद्र महारथी जी की दूरदर्शी कलात्मक सोच को नमन करते हुए संग्रहित पारंपरिक एवं समकालीन हस्तशिल्प कृतियों का गहन अध्ययन किया। उन्होंने संग्रहालय में प्रदर्शित शिल्पकलाओं जैसे मधुबनी चित्रकला, सिक्की कला, पटचित्र, लकड़ी शिल्प, धातु मूर्तियाँ, और टेराकोटा आदि की प्रशंसा करते हुए इनके संरक्षण और संवर्धन की दिशा में संस्थान द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।
इसके पश्चात उन्होंने हैंडिक्राफ्ट प्रशिक्षण केंद्र का निरीक्षण किया, जहाँ परंपरागत शिल्पों की विभिन्न विधाओं में प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने प्रशिक्षकों से संवाद स्थापित कर प्रशिक्षण की गुणवत्ता, पाठ्यक्रम की संरचना, एवं प्रशिक्षुओं की भागीदारी की जानकारी प्राप्त की।
भ्रमण के अगले चरण में प्रोफेसर भट्टाचार्य ने संस्थान परिसर में स्थित ‘पटना हाट’ का दौरा किया। इस हाट में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आए दस्तकारों द्वारा बनाए गए हस्तशिल्प एवं हथकरघा उत्पादों का जीवंत प्रदर्शन किया गया है। उन्होंने प्रत्येक स्टॉल पर जाकर दस्तकारों से संवाद किया, उनके उत्पादों की निर्माण प्रक्रिया को समझा तथा पारंपरिक शिल्पों की जीवंतता को महसूस किया।
इस पूरे भ्रमण के दौरान प्रोफेसर भट्टाचार्य ने संस्थान की कार्यशैली, सांस्कृतिक संरक्षण की दिशा में उठाए गए कदमों एवं कलाओं के प्रोत्साहन हेतु किए जा रहे प्रयासों की अत्यंत सराहना की। उन्होंने कहा कि यह अनुभव उनकी रचनात्मक दृष्टि को और समृद्ध करने वाला रहा तथा भारतीय पारंपरिक शिल्पों की विविधता को गहराई से समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करने वाला था।
संस्थान परिवार की ओर से प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य जी का हार्दिक अभिनंदन एवं धन्यवाद ज्ञापित किया गया।