सत्तू भूंजा खाकर दिन काट रहे बाढ़ पीड़ित, गांव का सड़क फिर डूबा!

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निभाष मोदी, भागलपुर

बाढ़ का विभिषिका झेल रहे बाढ़ पीड़ितों का दुःख दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले चार दिनों के दौरान डेढ़ फीट पानी बढ़ने से इनकी मुसीबतें एक बार फिर से बढ़ गयी है। 25 अगस्त तक राहत शिविर के भोजन से पेट भरने वाले बाढ़ पीड़ित , आज एक सप्ताह से भूंजा सत्तू खाकर जीवन जी रहे हैं। कई लोग तो ऐसे भी है, जिन्हें एक शाम भी खाना नहीं मिल रहा है। वहीं शिविर में मवेशी लेकर आये पीड़ित चारा को लेकर परेशान हो रहे हैं। महाशय ड्योढ़ी , सीटीएस चर्च मैदान, विश्वविद्यालय टिल्हा कोठी आदि राहत शिविर में अब भी हजारों लोग शरण लिये हुए हैं। सरकार के खाना बंद करने के बावजूद भी ये लोग अपने माल मवेशी के साथ ठहरे हुए है। सीटीएस चर्च मैदान में ठहरे हुए प्रकाश मंडल, राजेंद्र मंडल, शंभू साह, सीत देवी, फुलिया देवी आदि ने बताया, हमलोगों के लिए सरकार मर गया है। अभी घर द्वार सूखा भी नहीं था कि खाना बंद कर भगाने लगा। कहा, अब पानी सूख गया घर जाओ। अब फिर से घर द्वार पर पानी आ गया। अब क्या करेंगे। कोई देखने वाला नहीं है। दूसरी ओर हजारों परिवार आज भी चारों तरफ से पानी से घिरे गांव में रह रहे हैं, लेकिन देहरी द्वार पर फिर से पानी बढ़ने से इनके समक्ष पीने का पानी और शौच से निबटने की समस्या उत्पन्न हो गयी है। टिल्हा कोठी में ठहरे नरेश यादव, बृजलाल महतो, सुरेंद्र महतो, राजेश महतो, पंजाबी महतो, सिकन्दर महतो ने बताया, हमारा गांव चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है। पानी घटने पर जो गली सड़क सूख गया था। अब फिर से डूब रहा है। हमलोग सैकड़ों परिवार इसी पानी के बीच रह रहे है। यहां रह रहे लोग राहत शिविर में भी जाना नहीं चाह रहे है। सब कह रहा है कि वहां जाकर भी क्या करेंगे। राजेश महतों ने बताया, बजरंगवली का मंदिर का देहरी थोड़ा उंचा है। इसी पर भजन कीर्त्तन कर दिन काट रहे हैं। घर में ड्रम में रखा अनाज पानी चले जाने के कारण सड़ गया है। अब तो भूंजा पर भी आफत है। यही हालत टीएनबी कॉलेजिएट स्कूल राहत शिविर में रहने वाले बाढ़ पीड़ितों का है। यहां रह रहे ध्रुव महतो, सकलदेव महतो, देवकी देवी एक छोटी सी चौकी पर परिवार के साथ दिन काट रहे हैं। देवकी देवी ने बताया, आठ दिन से भात नहीं खाये हैं। घर छोड़ने वक्त जो मक्का लेकर आये थे, उसे भूनकर सत्तू बनाये है। वहीं रात दिन खाकर जी रहे हैं। घर में रखा सारा अनाज सड़ गया। एक दो दिन ये भी खत्म हो जायेगा, तो भूखा मरना पड़ेगा। बाढ़ का पानी बढ़ने से सबौर में भी कई गांवों के लोगों का जनजीवन फिर से अस्त व्यस्त हो गया है। ममलखा के प्रपुन यादव ने बताया, जिस घर, गली व सड़क का पानी सूख गया था, उसमें फिर से पानी भर गया है। पानी बढ़ने से एक बार फिर से दहशत हो गया है। यही कारण है कि गांव घर लौटे लोग फिर से पलायन करने लगे हैं।

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