आशुतोष पांडेय की रिपोर्ट :-
भोजपुर (आरा )
श्री त्रिदण्डिदेव राजकीय डिग्री महाविद्यालय गौतमनगर ,शाहपुर में जीयर स्वामी के सानिध्य में हो रहे पांच दिवसीय श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में सैकड़ों की संख्या में लोग यज्ञ में हिस्सा लेने हेतु जुट रहे हैं।मीडिया प्रभारी अखिलेश बाबा ने बताया कि 14 अप्रैल को महाविद्यालय का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल महामहिम राजेन्द्र विश्वाश अरेकर जी द्वारा होना है, जिला प्रशासन तथा विश्वविद्यालय के तरफ से युद्ध स्तर पर तैयारियां की जा रही है, कॉलेज के नये भवन में बिजली सप्लाई का भी काम जोरों पर है। बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता अविनाश ने बताया कि 14 अप्रैल तक कॉलेज प्रांगण में 63 केवीए का ट्रांसफार्मर लग जाएगा। मंगलवार को केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने स्वामी जी का दर्शन किया तथा आशीर्वाद प्राप्त किया, उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में इस महाविद्यालय के बनने से हजारों की संख्या में लोग लाभान्वित होंगे तथा बच्चे बच्चियां अपना भविष्य उज्जवल कर पाएंगे। काशी काशी, मथुरा, बनारस आदि जगहों से आये आचार्य के मंत्रोचार से पूरा क्षेत्र गूंज रहा है, अरणी मंथन के साथ जजमान लोग जग मंडप में प्रवेश किए, अरणी मंथन होते ही जयकारे से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो उठा, जग परिक्रमा करने हेतु काफी संख्या में लोग जुट रहे हैं, दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रहने खाने की उत्तम व्यवस्था की गई है, काफी संख्या में संत लोग भी जग में हिस्सा लेने हेतु जुटे हुए हैं, आसपास के क्षेत्र के लोग काफी उत्साह से यज्ञ को सफल बनाने में लगे हुए हैं, राज्यपाल के प्रतिनिधि सीनेट सदस्य संतोष तिवारी ने बताया कि शाहपुर क्षेत्र के लिए यह कॉलेज वरदान साबित होगा।
अपनी मर्यादा से हटकर जीना पाप है:- जीयर स्वामी। मर्यादा से अलग हटकर जीना पाप है। हर श्रेणी के व्यक्तियों की अलग-अलग धर्म और मर्यादायें है, जिनका सम्यक् पालन करते हुए जीवन यापन करना ही धर्म है। व्यक्ति को कभी भी अपनी मर्यादा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। श्री जीयर स्वामी ने कहा कि धर्म का अपना अलग-अलग स्वरुप होता है। वह उसी दायरे में सुशोभित होता है। मानव धर्म, स्त्री धर्म, ब्राह्मण धर्म, ब्रह्मचारी धर्म, संन्यासी धर्म, कृषक और विद्यार्थी धर्म आदि के लिए पहली अर्हता सत्य बोलना है। साथ ही दया, सदाचार, परोपकार एवं सरलता की भावना के साथ जीवन यापन करना है। सभी धर्मो में मानव धर्म सर्वोच्च है, जिसमें परोपकार, दया, करुणा एवं समदर्शिता आदि के गुण समाहित हैं।
श्री जीयर स्वामी ने सूत–सौनक संवाद में श्रीमद् भागवत महापुराण के मंगलाचरण के द्वितीय श्लोक की चर्चा करते हुए कहा कि भगवान समदर्शी हैं। जो जैसा है, उससे वैसा ही वर्ताव करना चाहिए। समदर्शिता के उदाहरण स्वरुप गृहस्थ जीवन में पति-पत्नी, पुत्र-पुत्री, भाई बहन, सेवक-स्वामी से यथोचित व्यवहार ही समदर्शिता है। सिद्ध और साधक की चर्चा करते हुए स्वामी जी ने कहा कि सिद्ध साधन के भटकाव से मुक्त रहता है। जबकि साधक में भटकाव संभव है। जब तक साधक को सिद्धि की प्राप्ति नहीं हो जाती, तब तक उसको अपनी साधना पर विश्वास नहीं होता। उसके मन में अनेक विकल्प उठते हैं। उसमें अपने पथ से विचलन की संभावना भी होती है। सूत जी महराज सिर्फ साधक नहीं सिद्ध भी हैं। इसीलिए धन, बल, आयु एवं कुल की दृष्टि से बड़ा न होने पर भी सूत जी को ब्यास गद्दी पर बैठाया गया। जग को सफल बनाने में राहुल सिंह, रोहित सिंह ,इंद्रदेव पांडे ,झुनू पांडे, संतोष तिवारी, अरविंद तिवारी, धनंजय तिवारी ,आदि क्षेत्र के लोग लगे हुए हैं।