पंकजकुमार जहानाबाद।
कथावाचक आचार्य गुप्तेश्वर पाण्डेय जी महाराज के द्वारा कहे जाने वाला राम कथा का नौ दिवसीय प्रवचन का हुआ भव्य समापन-
प्रवचन स्थल गांधी मैदान में हुआ प्रसाद वितरण
जहानाबाद (गांधी मैदान)
रामकथा महोत्सव,गांधी मैदान जहानाबाद में रामकथा विश्राम दिवस पर आचार्य श्री गुप्तेश्वर जी महाराज ने भगवान् श्री राम के चौदह वर्ष वनवास के दौरान घटने वाली घटनाओं को विवेचन का विषय बनाया। विवेचना के क्रम में भरत जी का अयोध्यावासियों, तीनों माताओं, गुरु वशिष्ठ आदि के साथ भगवान् श्री राम से मिलने जाने और दोनों भाइयों के बीच चल रहे संवाद का सजीव चित्रण किया।इस प्रसंग में लक्ष्मण के द्वारा भरत जी पर उठ रही शंका का समाधान श्री राम ने जिन शब्दों से किया,उसका वर्णन आचार्य श्री गुप्तेश्वर जी महाराज ने भाव विभोर होकर किया।भाई हो तो भरत जैसा।इस सम्बन्ध में रामचरितमानस की निम्न पंक्तियों को आचार्य श्री ने उद्धृत किया,
भरतहि होई न राजमद विधि हरि हर पद पाई।
कबहुं कि काजी सीकरनी क्षीर सिन्धु बिनसाई।।
कथा विस्तार के क्रम में,सती अनुसूया -सीता संवाद, सीता हरण, हनुमान का मिलना, सुग्रीव से मित्रता,शबरी से मिलन, जटायु का मिलना, हनुमान द्वारा सीता का पता लगाना,रावण के महल को हनुमान जी द्वारा जलाकर राख करना,लंका विजय के लिए समुद्र पर पुल बनाना, विभीषण से मित्रता,रावण का सैनिकों,अपने परिजनों,पुरजनों समेत मारा जाना,राम का अयोध्या आना,राम का राज्याभिषेक होना और रामराज्य की स्थापना का वर्णन आचार्य श्री गुप्तेश्वर जी महाराज ने अद्भुत रूप में किया।
उन्होंने कथा का रसपान कर रहे श्रोताओं को कहा कि ये सब भगवान की लीला है।इन तमाम घटनाओं के निहितार्थ हैं। भगवान् का प्राकट्य इस संसार के कल्याण के लिए हुआ है। संसार के कल्याणार्थ अपनी लीलाओं से कुछ ऐसे मान्य सिद्धांतों की स्थापना कर रहे हैं जो व्यक्ति, परिवार,समाज,राष्ट्र और विश्व के हित में है। आचार्य जी ने कहा कि भगवान् श्री राम ने इस लोक में अवतरित हो अपनी लीलाओं से आदर्श -राज की भावना,राजा-प्रजा सम्बन्ध, पारिवारिक जीवन का आदर्श और मर्यादा,लोकधर्म, समन्वयवाद आदि की ऐसी स्थापना दी,जिसका अनुकरण संसार में व्याप्त सभी समस्याओं का समाधान है।राम राजा के रूप में एक ऐसा आदर्श प्रस्तुत करते हैं,जो हर काल खंड में राज्य व्यवस्था के लिए अनुकरणीय उदाहरण रहेगा।प्रजा में पारस्परिक प्रेम का नाम है -रामराज्य।त्रय तापों से प्रजा मुक्त थी। आचार्य श्री ने स्पष्टत: परात्पर ब्रह्म श्री राम के द्वारा की गई लीला से जो संदेश संचरित हुआ है,उसी में जगत का कल्याण निहित है। श्रद्धालु नर-नारियों से भरे भीड़ में कथा समापन के अवसर पर आचार्य श्री गुप्तेश्वर जी महाराज की वाणी का असर ऐसा पड़ रहा था कि श्रोतागण झूमते नजर आए।
रामृकथा समापन के दिन मंच की आरती स्वामी राकेश जी महाराजा तथा महेश कुमार मधुकर ने किया । इस अवसर पर संतोष श्रीवास्तव ,शैलेश कुमार , राज किशोर शर्मा ,अजीत शर्मा मार्कण्य कुमार आजाद , डा एस के सुनील ,सुबोध कुमार , तथा रवि शंकर शर्मा