कोरोना महामारी ने मानवीय रिश्तो को किया तार-तार!

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दरभंगा से धर्मेंद्र पांडे!

बेटा बाप के शव को लेने से लिखित रूप से इनकार कर रहा है, तो पत्नी पति के शव को देखने तक नहीं आया!

स्वयंसेवी संगठन ने की इंसानियत की मिसाल पेश!

दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कोरोना आइसोलेशन वार्ड में दिल को झकझोर देने वाले ऐसे कई दृश्य दिख रहे हैं, जहां बेटा बाप के शव को लेने से लिखित रूप से इनकार कर रहा है तो पत्नी पति के शव को देखने तक नहीं आ रही है। ऐसे शवों के अंतिम संस्कार करने में जिला प्रशासन का पसीना छूट रहा है। इन हालातों में कबीर सेवा संस्थान नामक एक स्वयंसेवी संगठन इंसानियत की मिसाल पेश कर रहा है। कबीर सेवा संस्थान के 12 सदस्य अपनी जान की बाज़ी लगा कर ऐसे शवों का उनके धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार कर रहे हैं। इस संस्थान के लोगों ने कोरोना काल में अब तक करीब दो दर्जन हिंदू धर्म के मृतकों और करीब एक दर्जन मुस्लिम धर्म मृतकों के शवों के अंतिम संस्कार किए हैं। ऐसे शवों के अंतिम संस्कार के लिए विशेष रूप से श्मशान और कब्रिस्तान का चयन किया गया है।
कबीर सेवा संस्थान के एक सदस्य सुरेंद्र कुमार महतो ने बताया कि 6 अप्रैल को केवटी प्रखंड के एक बुजुर्ग की मौत कोरोना से हो गई। उनके तीन बेटे थे जिसमें से दो बेटे और उनके परिवार के सभी लोग कोरोना पॉजिटिव थे। तीसरे स्वस्थ बेटे ने पिता का शव लेने से लिखित रूप से इंकार कर दिया। दूसरी घटना 10 अप्रैल को हुई जब मनीगाछी प्रखंड के एक गांव के 30 वर्षीय युवक की कोरोना से डीएमसीएच में मौत हो गई। वह मुंबई में काम करता था। उसके परिवार में उसकी पत्नी और दो छोटे बच्चे थे। पत्नी अपने पति का शव लेने नहीं आई। इन दोनों शवों का अंतिम संस्कार कबीर सेवा संस्थान के लोगों ने किया।
कबीर सेवा संस्थान के एक प्रमुख सदस्य नवीन सिन्हा ने बताया कि इस संस्था की स्थापना 2014 में लावारिस शवों के अंतिम संस्कार के लिए की गई थी। उन्होंने बताया कि 2014 से लेकर अब तक करीब सवा सौ लावारिस शवों के अंतिम संस्कार उनके धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार संस्था कर चुकी है।* उन्होंने कहा कि कोरोना काल में इस बीमारी से मृत अपनों का शव छोड़कर परिजन चले जा रहे हैं, ऐसी स्थिति में भी कबीर सेवा संस्थान उन शवों का अंतिम संस्कार कर रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले साल से लेकर अब तक करीब दो दर्जन हिंदुओं और एक दर्जन मुस्लिमों के शवों का अंतिम संस्कार उनके धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ किया जा चुका है, जिनकी मौत कोरोना से हुई थी और जिनके परिजन उनका अंतिम संस्कार किसी वजह से नहीं करना चाहते थे। नवीन सिन्हा ने बताया कि शवों के अंतिम संस्कार करने में उन्हें कई कठिनाइयां होती हैं। समाज में लोग उनकी टीम के सदस्यों से दूरी बनाकर रहते हैं। लेकिन ऐसी स्थिति में भी वे शवों का अंतिम संस्कार करते हैं। उन्होंने कहा कि इससे उन लोगों को संतुष्टि मिलती है। उन्होंने कहा कि यह उनका सामाजिक दायित्व है जिसे वे निभाते आ रहे हैं।
दरभंगा डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम ने कबीर सेवा संस्थान के इस कार्य की सराहना की है। उन्होंने कहा कि पिछले साल से लेकर अब तक कबीर सेवा संस्थान ने कोरोना से मृत वैसे अनेक लोगों का अंतिम संस्कार किया है जिनके परिजन उनके शव लेने से इनकार कर चुके थे। उन्होंने कहा कि इस संस्था का कार्य सराहनीय है। डीएम ने कहा कि कबीर सेवा संस्थान को जिला प्रशासन की ओर से सम्मानित किया जाएगा।

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