रिपोर्ट- अमित कुमार
भूजल संरक्षण और जल स्रोतों की स्वच्छता को लेकर राज्य स्तरीय परामर्श: विभागीय समन्वय और जनजागरूकता पर दिया गया ज़ोर
पटना, 16 अप्रैल।
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, बिहार सरकार और आगा खाँ फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को पटना के चाणक्य होटल में एक दिवसीय राज्य स्तरीय परामर्श कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला का उद्देश्य भूजल आधारित जलापूर्ति योजनाओं की स्थिरता और स्रोतों की स्वच्छता के लिए अंतर-विभागीय प्रयासों और सहयोग को बढ़ावा देना था।
कार्यशाला का उद्घाटन लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार ने किया। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि “भूजल दोहन पर नियंत्रण और जल स्रोतों के संरक्षण के लिए विभागों के बीच समन्वय अति आवश्यक है।” उन्होंने बताया कि बिहार देश का पहला राज्य है जहां ‘हर घर नल का जल’ योजना के साथ जल गुणवत्ता को प्राथमिकता दी गई और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ‘जल-जीवन-हरियाली अभियान’ शुरू किया गया।
उन्होंने कहा कि जल की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए तकनीकी सुधारों की दिशा में लगातार कार्य हो रहा है और भविष्य में भी सतही जल का उपयोग बढ़ाकर भूजल पर निर्भरता को कम करने की योजना है। समाज में जल के विवेकपूर्ण उपयोग को लेकर व्यापक जनजागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर भी उन्होंने बल दिया।
मनरेगा आयुक्त अभिलाषा कुमारी शर्मा ने बताया कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत राज्य में 94,244 जल संचयन संरचनाओं का जीर्णोद्धार और 2,680 चेकडैम एवं अन्य संरचनाओं का निर्माण कराया गया है। छत-वर्षा जल संचयन के लिए भी 3,035 संरचनाएं बनाई गई हैं, जिससे किसानों को काफी लाभ मिला है।
जल-जीवन-हरियाली मिशन की निदेशक प्रतिभा रानी ने कहा कि मुख्यमंत्री की दूरदर्शी सोच के कारण परंपरागत जल स्रोतों का संरक्षण और पुनर्जीवन राज्य में तेजी से हो रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री की उक्ति दोहराई—”जब तक जल और हरियाली है, तब तक जीवन है।”
कार्यशाला को अभियंता प्रमुख सह विशेष सचिव अभय कुमार सिंह, केंद्रीय भूजल बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक राजीव रंजन शुक्ला, और आगा खान फाउंडेशन के निदेशक डॉ. असद उमर ने भी संबोधित किया। वक्ताओं ने जल स्रोतों की स्थिरता बनाए रखने हेतु तकनीकी नवाचार और विभागीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस अवसर पर संबंधित विभागों के अधिकारी, विशेषज्ञ और प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। कार्यशाला में प्रस्तुत विचारों से स्पष्ट हुआ कि राज्य में जल संरक्षण को लेकर बहुआयामी और समन्वित प्रयास जारी हैं, जो भविष्य की जल चुनौतियों से निपटने में सहायक होंगे।