भक्ति की अनोखी झलक: सात महीने का आयांस भी बना बाबा भोले का भक्त, माता पिता के साथ चला बाबाधाम!

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रिपोर्ट- सुमित कुमार

कहते हैं भक्ति में अपार शक्ति होती है — चाहे बच्चा हो या बूढ़ा, हर कोई महादेव के नाम का दीवाना है। सावन का पावन महीना सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है, और इसी दौरान रोज़ाना हजारों श्रद्धालु सुल्तानगंज की उत्तर वाहिनी गंगा से जल लेकर 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं और देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम में जलार्पण करते हैं।इसी कड़ी में सहरसा जिले से निकला एक 8 सदस्यीय कांवरिया जत्था जब मुंगेर जिले के असरगंज पहुंचा, तो एक मन को छू लेने वाला दृश्य देखने को मिला। इस जत्थे में शामिल महज सात महीने का आयांस भगत भी अपने नन्हें कांवर के साथ बाबा भोलेनाथ की ओर कूच कर रहा है।आयांस को उसके माता-पिता और अन्य परिजन एक वॉकर में बिठा कर साथ लेकर जा रहे हैं। यह नजारा जहां श्रद्धा की गहराई को दर्शाता है, वहीं यह भी बताता है कि भक्ति उम्र नहीं देखती।आयांस की मां अंशिका राज बताती हैं, हम सास-ससुर, पति और ननद के साथ बाबा बैद्यनाथ धाम जा रहे हैं। मेरा बच्चा बहुत छोटा है, इसलिए उसे घर पर छोड़ नहीं सकती थी। इसी कारण उसे वॉकर में बिठा कर साथ लेकर चल रही हूं। बाबा भोलेनाथ की कृपा है जो यह संभव हो रहा है।

बाइट – अंशिका राज, आयांस की मां
बाइट – बादल कुमार, पिता

यह दृश्य श्रावणी मेले की भीड़ में सभी श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा बन गया है। नन्हा आयांस भोलेनाथ का सबसे छोटा भक्त बनकर लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।

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